देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में मिल चुका है. केरल सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि 35 साल के मरीज की हालत में लगातार सुधार हो रहा है. कोल्म जिले में रहने वाले मरीज ने हाल ही में यूएई की यात्रा की थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति की.निगरानी के लिए एक केंद्रीय टीम को केरल भेजा है. फिलहाल सवाल है कि जब भारत समेत दुनिया कोरोनाकाल के तीसरे साल में प्रवेश कर रही है, वैसे में मंकीपॉक्स जैसे मेडिकल इमरजेंसी से भारत कैसे निपटेगा? आजतक ने स्थिति का जायजा लेने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों, संक्रामक रोग विशेषज्ञों और डॉक्टरों से बात की.अमेरिका और यूरोप में इस साल करीब छह हजार केस मिले हैं लेकिन इनमें से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है. मंकीपॉक्स का वायरस मुख्य रूप से मरीज के पास होने या फिर शारीरिक संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है. ऐसे में जिन्होंने मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आए हैं, उन्हें सावधान रहने की जरूरत है.केवल संक्रमित मरीजों के साथ निकटता या फिर शारीरिक संपर्क से बचना होगा. मंकीपॉक्स को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में विशेष रूप से मेडिकल हॉस्पिटल्स में तैयारी करने की जरूरत है. वहां आईसीयू स्पेशलिस्ट तैनात करने की जरूरत है
मंकीपॉक्स वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक होता है. कई बार 5 से 21 दिन तक का भी हो सकता है. इन्क्यूबेशन पीरियड का मतलब ये होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे. संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर बुखार ,तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं.मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है. बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है.शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते...
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