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मंगलवार, मार्च 01, 2022

_लोहार को एसटी का दर्जा देने वाला आदेश रद्द

 *नीतीश कुमार को सुप्रीम कोर्ट से सुप्रीम झटका।

वर्ष 2016 में नीतीश कुमार ने बिहार के कुल आबादी का लगभग 2% जनसंख्या वाले लोहार समुदाय जो कि बिहार के अत्यंत पिछड़ा वर्ग के सूची में आते थे उनको लोहारा लोहरा आदिवासी के नाम पर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया था।

बिहार सरकार के उक्त आदेश को हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया गया है किंतु एक गैर SC ST समुदाय के व्यक्ति सुनील कुमार राय पर लोहार जाति के लोगों ने एससी एसटी एक्ट का मुकदमा कर दिया जिसके कारण पीड़ित सुनील कुमार राय को जेल जाना पड़ा। निचली अदालत ने उनको बेल नहीं दिया।

सुनील कुमार राय ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर किया था रिट याचिका

क्योंकि लोहार ओबीसी समुदाय है इसलिए सुनील कुमार राय ने बिहार सरकार के 2016 के उस आदेश को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में चैलेंज किया जिसके तहत बिहार सरकार ने लोहार को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र देने का आदेश दिया था ।

सर्वोच्च अदालत ने बिहार सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा यह भारतीय संविधान का गंभीर उल्लंघन

दिनांक 21 फरवरी 2022 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र देने वाले बिहार सरकार के 2016 के गजट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए यह कहा कि  बिहार सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर लोहार को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया जोकि भारतीय संविधान के 342 का गंभीर उल्लंघन है।

एससी एसटी के सूची में संशोधन केवल संसद के अधिनियम के द्वारा किया जा सकता है:-  सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च अदालत ने 1993 के नित्यानंद शर्मा बनाम बिहार सरकार और अन्य सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ के जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन केवल भारतीय संसद के अधिनियम के द्वारा ही किया जा सकता है।

सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया

क्योंकि लोहार अनुसूचित जनजाति के सदस्य नहीं है और बिहार सरकार ने लोहार को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र देने का गैर कानूनी काम किया जिसका लाभ लेते हुए लोहार समुदाय के लोगों ने गैर अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति के ऊपर एससी एसटी मुकदमा दिया।

जिसका खामियाजा उक्त गैर आदिवासी व्यक्ति को भुगतना पड़ा सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के इस क्रियाकलाप को गंभीर संवैधानिक उल्लंघन मानते हुए बिहार सरकार पर ₹500000 का जुर्माना लगाया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि बिहार सरकार जुर्माने की राशि को 1 महीने के अंदर भुगतान करें।

सरकार सभी अधिकारियों को निर्देशित करे कि लोहार को ST का दर्जा खत्म किया गया:- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि बिहार सरकार हमारे इस आदेश के पालन के फल स्वरुप अपने सभी अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह बिहार के लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं देंगे और जारी किए गए प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे।

नीतीश कुमार जी के अदूरदर्शी निर्णय से बिहार मे तबाही:- हरिकेश्वर राम


एससी एसटी कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष इंजीनियर हरिकेश्वर राम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा

” राष्ट्रपति आदेश के खिलाफ लोहार को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र निर्गत करने के बिहार सरकार के आदेश से एसटी का सिर्फ अधिकार ही नही छीना गया बल्कि इसके निरस्त होने से गलत प्रमाणपत्र के आधार पर लाभान्वित हुए लोहार जाति के लोगो का भविष्य भी संकट मे पड़ेगा। नीतीश कुमार जी के अदूरदर्शी निर्णय से बिहार मे तबाही।

बिहार के तांती और खतवे जाति  के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश

बिहार सरकार ने 2014 और 2015 में बिहार के तांती ततवा जाति के नाम पर और खतवे जाति को चौपाल जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र देने का आदेश दिया था विदित हो कि इन दोनों आदेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय का लोहार जाति के संदर्भ में दिया गया आदेश बिहार के तांती ततवा और खतवे जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने वाले बिहार सरकार के निर्णय को भी प्रभावित कर सकता है।

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