यह ब्लॉग खोजें

Live News

शनिवार, नवंबर 28, 2020

बिहार के सहरसा जिला का सत्तरकटैया प्रखंड कैंसर पेशेंट्स का हॉटस्पॉट बनता जा रहा

 बिहार के सहरसा जिला का सत्तरकटैया प्रखंड कैंसर पेशेंट्स का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है. इस प्रखंड के लगभग में हर घर में एक कैंसर पेशेंट है. यही नहीं हर पांचवे दिन कैंसर से एक न एक की मौत होती है और फिर कैंसर का एक नया मरीज बाहर निकल आता है. सत्तरकटैया के सत्तर, सहरवा, मेनहा, खदीपुर, खोनहा, कटैया, सिहौल आदि गांव के हर घर की यही कहानी है.कोरोना महामारी को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लागू लॉकडाउन में सत्तरकटैया के केंसर पीड़ित मरीजों काफी दिक्कत हुई क्योंकि वो कहीं इलाज करवाने नहीं जा सके. ग्रामीणों की मानें तो मरीजों का महावीर केंसर संस्थान, पटना, आईजीएमएस, पटना , टीएमसीएच, मुंबई , एम्स दिल्ली और गुजरात के सूरत आदि जगहों पर इलाज चल रहा था.मगर लॉकडाउन के कारण परिचालन बाधित हो गयी और जिन कैंसर मरीजों को केमो थेरेपी कराना था, वह नहीं करा पाए. वहीं, जिन मरीजों को कैंसर के प्रथम स्टेज की जानकारी प्राप्त हुई उनकी भी बीमारी लॉकडाउन की वजह से बढ़ गई. ऐसे में लगभग 12 से अधिक मरीजों की मौत हो गयी.  आज भी सत्तरकटैया प्रखंड में मेनहा के दिलीप यादव, भूपेंद्र यादव, सीता देवी, पुनिता देवी, सूरज साह, राम नंदन यादव, सुनीता देवी, मोहम्द शमीम, नंद शर्मा आदि कितने ही लोग कैंसर के मरीज हैं, जो भारत के विभिन्न कैंसर अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं. इस इलाके में कई तरह के जांच भी किए गए, लेकिन बीमारी के पीछे का कारण पता नहीं चल पाया. जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर होने की मुख्य वजह तंबाकू, आर्सेनिक और यूरेनियम है. इनमें कारसोजेनिक पाया जाता है जिससे कैंसर जैसी बीमाड़ी उत्पन्न हो सकती है.

                                        




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

SPONSOR

SPONSOR
Back To Top