यह ब्लॉग खोजें

Live News

रविवार, जुलाई 05, 2020

गुरु महोत्सव के अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति अपने गुरु के प्रति निष्ठावान बनने का संकल्प ले-आचार्य सुदर्शन महाराज

*जिसके जीवन में गुरु नहीं*
         *उसका जीवन शुरू नहीं --आचार्य सुदर्शन महाराज

आत्म कल्याण केंद्र बिहार शाखा के तत्वाधान में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन जगनपुरा, सुदर्शन धाम स्थित आत्म कल्याण केंद्र में बड़े ही सादगी पूर्ण ढंग से मनाया गया | इस अवसर पर आत्म कल्याण केंद्र गुड़गांव के संस्थापक *राज ऋषि आचार्यश्री सुदर्शनजी महाराज* ने कहा कि मनुष्य का जीवन बहुत ही सौंदर्यपूर्ण, आनंदपूर्ण और अर्थपूर्ण होता है | एक जीवन की तुलना लाखों एटम बम से की जा सकती है | लेकिन मनुष्य ज्ञान अहंकार और भोग जैसी प्रवृत्तियों में इस कदर फंसा रहता है कि वह इस जीवन को अर्थहीन बनाकर नष्ट कर देता है | इसका एक ही कारण है कि मनुष्य अपने जीवन के महत्व को समझ नहीं पाता और वह स्वयं अपनी शक्ति को पहचान नहीं पाता | इसी  पहचान के लिए मनुष्य के जीवन में गुरु की आवश्यकता होती है |
 *आचार्य श्री* ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सबसे पहले उसकी मां गुरु रहती है | फिर समाज और विद्यालयों में जाने पर अक्षर ज्ञान और भाषा ज्ञान के लिए शिक्षक गुरु बनते हैं और अंत में जीवन के रहस्य को समझने के लिए आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है | जब गुरु मनुष्य के जीवन में प्रविष्ट होकर प्रकाश भरता है और उसी प्रकाश में वह परमात्मा को खोजता है | दरअसल जीवन का उद्देश्य कभी भी धन संग्रह नहीं है | शुरू में लोग धन कमाने के लिए चोरी, डकैती, बेईमानी करके धन संग्रह करते हैं और जब धन आ जाता है, तो फिर मनुष्य धर्मशाला, कॉलेज, हॉस्पिटल बनवाते हैं | क्योंकि तब उसे पता चल जाता है कि धन का संग्रह व्यर्थ है असल कमाई तो यश कमाना और लोगों का आशीर्वाद और दुआ कमाना है | ताकि अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाया जा सके | हमलोगों में से अनेक लोग इस रहस्य को नहीं समझ पाते और अपने बहुमूल्य जीवन को कामनाओं की पूर्ति में लगा कर नष्ट कर देते हैं |

       *आचार्य श्री* ने कहा कि गुरु वही है जो देना जानता है क्योंकि गुरु एक विशाल सागर की तरह होता है जहां पशु-पक्षी, सभी जीव जंतु जाकर अपनी प्यास बुझाता है | उसी तरह मनुष्य के जीवन में जो गुरु होते हैं वह अपने शिष्यों के विकारों को पी जाते हैं | गुरु का अर्थ ही होता है जो शिष्यों के विकारों को निगल जाए | इसलिए जीवन में गुरु का होना अनिवार्य है और गुरु महोत्सव के अवसर पर प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि वह अपने गुरु के प्रति निष्ठावान बनने का संकल्प ले साथ ही प्रतिदिन गुरु के बताए मार्गों पर चलने का व्रत ले |
                            

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

SPONSOR

SPONSOR
Back To Top