समस्तीपुर के S.K हाई स्कूल जितवारपुर में पढ़ने वाला दुर्गेश ने बिहार के साथ जिले का भी नाम रौशन किया। दुर्गेश ने बताया कि उसने स्कूल की पढ़ाई के साथ साथ कोचिंग की भी मदद ली ,रोज कम से कम वह चार से पांच घंटे स्वाध्याय करता था कई टेस्ट क्लास भी ज्वाइन किए थे। बिहार बोर्ड के सेकेंड टॉपर दुर्गेश के पिता जय किशोर सिंह किसान हैं और उन्होंने बताया कि ये उनके बेटे की मेहनत का फल ही है। दुर्गेश अपने चार भाई बहन में सबसे छोटा है। पिता कहते हैं कि किसान परिवार का होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हुए भी उन्होंने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं की-- वे अफसोस जताते हुए कहते हैं कि उनका बेटा नेशनल स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हुआ था,इसका दुख है। कि उसका पैसा भी दुर्गेश को प्राप्त नहीं हुआ जिससे उसे कॉपी किताब खरीदने में मदद मिलती। इस वक़्त किसान का क्या हाल है वो तो सब लोग जानते ही है.........
समस्तीपुर के S.K हाई स्कूल जितवारपुर में पढ़ने वाला दुर्गेश ने बिहार के साथ जिले का भी नाम रौशन किया। दुर्गेश ने बताया कि उसने स्कूल की पढ़ाई के साथ साथ कोचिंग की भी मदद ली ,रोज कम से कम वह चार से पांच घंटे स्वाध्याय करता था कई टेस्ट क्लास भी ज्वाइन किए थे। बिहार बोर्ड के सेकेंड टॉपर दुर्गेश के पिता जय किशोर सिंह किसान हैं और उन्होंने बताया कि ये उनके बेटे की मेहनत का फल ही है। दुर्गेश अपने चार भाई बहन में सबसे छोटा है। पिता कहते हैं कि किसान परिवार का होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है। आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हुए भी उन्होंने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं की-- वे अफसोस जताते हुए कहते हैं कि उनका बेटा नेशनल स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हुआ था,इसका दुख है। कि उसका पैसा भी दुर्गेश को प्राप्त नहीं हुआ जिससे उसे कॉपी किताब खरीदने में मदद मिलती। इस वक़्त किसान का क्या हाल है वो तो सब लोग जानते ही है.........
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