या तो पेंशन या फिर वेतन आज की विषम स्थिति में केवल एक:-
मेरा हिंदुस्तान के सभी राजनेताओं से एक नम्र निवेदन है कि जैसा कि उन्होंने अपनी सांसद, विधायक, विधान पार्षद निधि से राशि विभिन्न राहत कोष में दान देकर अपने आप को दानवीर साबित किया है ।तो वहीं राजनेता खुद को मिलने वाली सारी पेंशनों को त्याग कर केवल सैलरी क्यों नहीं ले रहे हैं ।उन्हें सांसद ,विधायक, विधान पार्षद एवं अन्य पदों पर रहते जो वेतन मिल रहा है केवल उसे ही लेना चाहिए। और पहले अगर क्रमशः सांसद, विधायक विधान पार्षद पद पर रह चुके हैं और जहां से हटने के बाद उन्हें पेंशन मिल रहा है । और वह अभी सांसद ,विधायक, विधान पार्षद जैसे किसी अन्य पद पर रह कर अभी वेतन भी उठा रहे हैं। तो उस पेंशन का त्याग क्यों नहीं कर देते हैं ?
इसके साथ-साथ केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से भी निवेदन है कि आज की विषम परिस्थिति में, भारत की बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था को देखते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्य की राज्य सरकार क्रमशः अपने सांसदों एवं विधायकों एवं विधान पार्षदों को आज के वक्त में केवल वेतन ही दे ।और वह पहले अगर विधायक, विधान पार्षद ,और सांसद रहे हैं तो उसका पेंशन ना दे।
अब पता चलेगा कि हमारे यहां के कितने राजनेता एवं जनप्रतिनिधि दानवीर कर्ण है? जो नहीं ऐसा करेगा उसे अगले बार नहीं जिताना है चुनाव में ।
मैंने जिन राजनेताओं को इसमें जिक्र किया है । वह माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर विधायक तक का जिक्र किया है।
क्या मैं कोई गलत मांग करता हूं सभी राजनेताओं एवं सरकार से?
धन्यवाद।
मणि भूषण प्रताप सेंगर।
जनहित याचिका एक्सपर्ट अधिवक्ता।
माननीय पटना उच्च न्यायालय।
मेरा हिंदुस्तान के सभी राजनेताओं से एक नम्र निवेदन है कि जैसा कि उन्होंने अपनी सांसद, विधायक, विधान पार्षद निधि से राशि विभिन्न राहत कोष में दान देकर अपने आप को दानवीर साबित किया है ।तो वहीं राजनेता खुद को मिलने वाली सारी पेंशनों को त्याग कर केवल सैलरी क्यों नहीं ले रहे हैं ।उन्हें सांसद ,विधायक, विधान पार्षद एवं अन्य पदों पर रहते जो वेतन मिल रहा है केवल उसे ही लेना चाहिए। और पहले अगर क्रमशः सांसद, विधायक विधान पार्षद पद पर रह चुके हैं और जहां से हटने के बाद उन्हें पेंशन मिल रहा है । और वह अभी सांसद ,विधायक, विधान पार्षद जैसे किसी अन्य पद पर रह कर अभी वेतन भी उठा रहे हैं। तो उस पेंशन का त्याग क्यों नहीं कर देते हैं ?
इसके साथ-साथ केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से भी निवेदन है कि आज की विषम परिस्थिति में, भारत की बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था को देखते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्य की राज्य सरकार क्रमशः अपने सांसदों एवं विधायकों एवं विधान पार्षदों को आज के वक्त में केवल वेतन ही दे ।और वह पहले अगर विधायक, विधान पार्षद ,और सांसद रहे हैं तो उसका पेंशन ना दे।
अब पता चलेगा कि हमारे यहां के कितने राजनेता एवं जनप्रतिनिधि दानवीर कर्ण है? जो नहीं ऐसा करेगा उसे अगले बार नहीं जिताना है चुनाव में ।
मैंने जिन राजनेताओं को इसमें जिक्र किया है । वह माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर विधायक तक का जिक्र किया है।
क्या मैं कोई गलत मांग करता हूं सभी राजनेताओं एवं सरकार से?
धन्यवाद।
मणि भूषण प्रताप सेंगर।
जनहित याचिका एक्सपर्ट अधिवक्ता।
माननीय पटना उच्च न्यायालय।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें