सासाराम में रेलवे पुल का एक हिस्सा गिर गया। हादसे में दो मज़दूरों की मौत हो गई और दो गंभीर रुप से घायल हो गया। दरअसल पुल ही नहीं गिरा लोगो का रेलवे के कामकाज से विश्वास भी गिर गया है।
सासाराम में गौरक्षिणी गांव के करीब रेलवे का निर्माणधीन पुल गिर गया........ पुल के अंदर दबने से एक मजदूर की मौत हो गयी है। एक अन्य मजदूर कई घंटों तक मलबे के नीचे दबा रहा...जिसे कड़ी मशक्तत के बाद निकाला गया। घंटों ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते इस मजदूर ने भी सासाराम अस्पाताल में दम तोड़ दिया । दो मज़दूर अभी भी गंभीर हालत में भर्ती हैं। ............सुबह सुबह अभी मज़दूरों ने दिन के काम की शुरुआत की थी कि ये भयंकर हादसा पेश आ गया। घटना की जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ जुट गयी । जानकारी मिलते ही रेलवे के सीनियर अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। रेलवे परिचालन को बंद कर दिया गया और मौके पर राहत और बचाव कार्य चलाया गया। एक का शव निकाला गया... जबकि तीन मजदूरों को चिंताजनक हालात में निकालकर अस्पताल में भर्ती कराय गया । ........इस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.....रेलवे के निर्माण कामों में क्या प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। क्या निर्माण स्थल पर सुरक्षा के मानको का ख्याल रखा गया। क्या ऐसे हादसों के तुंरत बाद अफरा तफरी के हालात से निपटने के इंतजाम होते हैं।
....................हादसे कभी भी कहीं भी हो सकते हैं.....लेकिन कुछ हादसों को आमंत्रित भी किया जाता है।
सासाराम में घटी इस घटना ने फिर से साबित किया है कि रेलवे से लेकर दूसरे तमाम विभागों तक निर्माण कामों में भयानक समझौता किया जा रहा है जिसके परिणाम स्वरुप गरीब मज़दूरों को जान की आहुत देकर कीमत चुकानी पड़ रही है।
सासाराम में गौरक्षिणी गांव के करीब रेलवे का निर्माणधीन पुल गिर गया........ पुल के अंदर दबने से एक मजदूर की मौत हो गयी है। एक अन्य मजदूर कई घंटों तक मलबे के नीचे दबा रहा...जिसे कड़ी मशक्तत के बाद निकाला गया। घंटों ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते इस मजदूर ने भी सासाराम अस्पाताल में दम तोड़ दिया । दो मज़दूर अभी भी गंभीर हालत में भर्ती हैं। ............सुबह सुबह अभी मज़दूरों ने दिन के काम की शुरुआत की थी कि ये भयंकर हादसा पेश आ गया। घटना की जानकारी मिलते ही लोगों की भीड़ जुट गयी । जानकारी मिलते ही रेलवे के सीनियर अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। रेलवे परिचालन को बंद कर दिया गया और मौके पर राहत और बचाव कार्य चलाया गया। एक का शव निकाला गया... जबकि तीन मजदूरों को चिंताजनक हालात में निकालकर अस्पताल में भर्ती कराय गया । ........इस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.....रेलवे के निर्माण कामों में क्या प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। क्या निर्माण स्थल पर सुरक्षा के मानको का ख्याल रखा गया। क्या ऐसे हादसों के तुंरत बाद अफरा तफरी के हालात से निपटने के इंतजाम होते हैं।
....................हादसे कभी भी कहीं भी हो सकते हैं.....लेकिन कुछ हादसों को आमंत्रित भी किया जाता है।
सासाराम में घटी इस घटना ने फिर से साबित किया है कि रेलवे से लेकर दूसरे तमाम विभागों तक निर्माण कामों में भयानक समझौता किया जा रहा है जिसके परिणाम स्वरुप गरीब मज़दूरों को जान की आहुत देकर कीमत चुकानी पड़ रही है।
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