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बुधवार, मार्च 02, 2022

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से भारत को कितना नुकसान?

 रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) के खतरे से पूरी दुनिया को डरा रही है. इस लड़ाई ने वैश्विक महंगाई का डर भी बढ़ा दिया है लेकिन इस विश्व युद्ध का असर केवल कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों पर ही नहीं पड़ेगा. छोटे बड़े कई कारोबार ऐसे हैं जिन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है. यूक्रेन और भारत (India And Ukraine) के बीच कपड़ों का कारोबार एक ऐसा ही क्षेत्र है. आने वाले समय में भारत से यूरोप के शहरों में जाने वाले कपड़ों के कारोबार (Clothing Trade) पर भी असर पड़ सकता है. 

कपड़ों का कारोबार प्रभावित  

रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का असर भारत में कपड़ों की इंडस्ट्री पर पड़ने लगा है. Apparel City यानी कपड़ों के शहर नोएडा और दिल्ली समेत भारत के कई शहरों से यूरोप में रेडीमेड कपड़ों का निर्यात (Export) होता है. लेकिन युद्ध के माहौल में निर्यात तो छोड़िए, जो ऑर्डर तैयार थे वो भी अधर में हैं. फिलहाल ये असर यूक्रेन और भारत (India) के कारोबार पर पड़ रहा है लेकिन आने वाले वक्त में भारत से पूरे यूरोप (Europe) को हो रही कपड़ों की सप्लाई चेन (Supply Chain) पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. 

आम आदमी की जेब पर पड़ा जोर

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का असर भारतीय रुपये (Indian Rupee), कच्चे तेल (Crude Oil) और सनफ्लावर ऑयल (Sunflower Oil) पर पड़ रहा है. इसके साथ ही युद्ध का असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन संकट का सीधा असर भारत की आम जनता पर भी पड़ेगा. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel), नेचुरल गैस (Natural Gas), एडिबल ऑयल (Edible Oil) और गेहूं (Wheat) महंगा हो सकता है. यूक्रेन और भारत के बीच तकरीबन 3 बिलियन डॉलर का कारोबार होता है. 

भारत यूक्रेन से खरीदता है कई चीजें

भारत में मौजूद यूक्रेन एंबेसी (Ukraine Embassy) की वेबसाइट के मुताबिक भारत यूक्रेन से 2 बिलियन डॉलर यानी तकरीबन डेढ़ खरब का आयात (Import) करता है. भारत यूक्रेन से केमिकल्स, खाने का तेल और मशीनें खरीदता है. जबकि यूक्रेन भारत से दवाइयां, इलेक्ट्रिकल्स और कपड़े खरीदता है. यूक्रेन (Ukraine) भारत से 721 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 55 अरब का सामान आयात (Import) करता है. हालांकि जानकार मानते हैं कि भारत के कुल आयात-निर्यात कारोबार (Import-Export Business) में ये लेनदेन 10% से भी कम का है.



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