देश के विभिन्न भागों से ट्रेनों में भर-भर कर प्रवासी घर लौट रहे हैं। अब इन लोगों को परदेस से भरोसा उठ गया है। ट्रेन से लौट रहे लोग कहते हैं कि अब फिर से वापस परदेस नहीं जाएंगे। कई लोग हैं जो अपने पूरे परिवार के साथ सामान लेकर अपने गांव लौट रहे है। ये लोग अपनी आपबीती बताते हैं कि कैसे वे लोग परदेस में परेशान किये जा रहे थे। लुधियाना से आई मंजूषा कहती है कि जैसे-जैसे लॉक डाउन के दिन बीत रहे थे। उन लोगों की समस्याएं बढ़ती जा रही थी। कोई स्थानीय लोग मदद पहुंचाना नहीं चाह रहा था।यहां तक कि चोरी तथा छिनतई की घटनाएं भी बढ़ती जा रही थी। स्थानीय लोग मदद के बजाय परेशान कर रहे थे।
देश के विभिन्न भागों से ट्रेनों में भर-भर कर प्रवासी घर लौट रहे हैं। अब इन लोगों को परदेस से भरोसा उठ गया है। ट्रेन से लौट रहे लोग कहते हैं कि अब फिर से वापस परदेस नहीं जाएंगे। कई लोग हैं जो अपने पूरे परिवार के साथ सामान लेकर अपने गांव लौट रहे है। ये लोग अपनी आपबीती बताते हैं कि कैसे वे लोग परदेस में परेशान किये जा रहे थे। लुधियाना से आई मंजूषा कहती है कि जैसे-जैसे लॉक डाउन के दिन बीत रहे थे। उन लोगों की समस्याएं बढ़ती जा रही थी। कोई स्थानीय लोग मदद पहुंचाना नहीं चाह रहा था।यहां तक कि चोरी तथा छिनतई की घटनाएं भी बढ़ती जा रही थी। स्थानीय लोग मदद के बजाय परेशान कर रहे थे।
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