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गुरुवार, अप्रैल 02, 2020

कैमूर वन अभयारण्य से एक अच्छी खबर आई

सासाराम:- कैमूर पहाड़ी के सेंचुरी वन प्रणाली में पहली बार बाघ की तस्वीर को कैमरे में कैद, पहाड़ के अगल-बगल गांव में काफी खुशी का माहौल

 सासाराम. कोरोना वायरस के संक्रमण ( के खतरे के मद्देनजर  लॉकडाउन होने के बाद कैमूर वन अभयारण्य से एक अच्छी खबर आई है. दरअसल वन विभाग (Forest department) द्वारा जंगल में लगाए गए ऑटोमेटिक ट्रैपिंग कैमरे  में जंगल में विचरण कर रहे एक नर बाघ (tiger) की तस्वीर कैप्चर हुई है. जिसके बाद वन विभाग तथा पशु प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस तस्वीर के सामने आने के बाद इस अभ्यारण्य  को और सुरक्षित करने के उपाय तेज कर दिए गए हैं.
मिली जानकारी के अनुसार ट्रैपिंग कैमरे में संभवत 26 तारीख को यह तस्वीर मिली है जो शाम के 7 बजे की बताई जा रही है. बता दें कि पिछले साल के नवंबर महीने से ही कैमूर पहाड़ी के जंगलों में बाघ के होने के निशान मिलने लगे थे. वहीं, वन विभाग की टीम ने दुर्गावती जलाशय (Durgavati reservoir) के पास भी बाघ होने की पुष्टि की थी. जब 2 पालतू मवेशियों पर उसने हमला किया था.
पहले भी मिल चुके हैं बाघ के 'मल' तथा पद चिन्ह
सासाराम के डीएफओ प्रदुमन गौरव ने बताया कि नवंबर तथा दिसंबर के महीने में बाघ के 'मल' शौच भी बरामद हुए थे. इसे जांच के लिए देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया भेजा गया था जिसमें पुष्टि हुई थी कि यह 'मल' बाघ के ही हैं. बहरहाल ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ से भी बाघ इस जंगल में आ गए होंगे.
लॉकडाउन के बाद जंगल में लोगों के प्रवेश पर है रोक
बता दें कि लॉक डाउन के बाद ही जंगलों में लोगों की आवाजाही पर पूर्णता रोक लगा दी गई हैं. जिसके बाद जंगली वन्य जीव प्राणी आराम से विचरण कर रहे हैं. वन विभाग के लोगों का कहना है कि पिछले कई महीनों से इस पर काम चल रहा है. अब जाकर लॉकडाउन होने के बाद बाघ की तस्वीर मिलने से पूरे रोहतास वन प्रमंडल में खुशी की लहर दौड़ गई है.

जिस वन क्षेत्र में यह पदचिन्ह मिले हैं उसके फॉरेस्टर वाल्मीकि सिंह कहते हैं कि पिछले कई महीनों से बाघ के आवाजाही की सूचना मिल रही थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद जब पूरे इलाके में शांति छा गई गाड़ियों की आवाजाही पर पूर्णता रोक लगा दिया गया. जंगल में रहने वाले जनजाति भी अब एक जगह सिमटकर रहने लगे ऐसे में मानवीय गतिविधि कम होने पर जंगली पशु ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हुए विचरण कर रहे हैं. इसी का परिणाम है कि बाघ की तस्वीर मिली है.


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