राजद प्रमुख 90 के दशक में कई बार गरीब महारैला में भारी भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का अहसास कराते रहे हैं। इस बार भी महागठबंधन सरकार में खटपट शुरू होते ही लालू ने राजद कार्यकारिणी की बैठक के दौरान राजगीर में ही ऐलान कर दिया था कि 27 अगस्त को पटना में राजद की भाजपा भगाओ रैली ऐतिहासिक हुई।,,,,सत्ता से बेदखल होने के बाद लालू इस रैली को दो तरह से यादगार बनाने की कोशिश में जुटे थे। पहला मंच पर शीर्ष नेताओं की मौजूदगी और दूसरा मैदान में भारी भीड़। आवास समेत अपने कई ठिकानों पर सीबीआइ छापेमारी के बाद महागठबंधन सरकार में तकरार के दौरान तेजस्वी यादव के इस्तीफे के दबाव को भी लालू ने यह कहकर दरकिनार कर दिया था कि निर्दोष होने का सबूत गांधी मैदान में ही दिया जाएगा,,,,रैली में लगभग 25 लाख लोगों को बुलाने का दावा किया जा रहा था नेताओं में अभी तक एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, एवं झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के आने के प्रति राजद आश्वस्त रहे
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