आज शारदीय नवरात्र का प्रथम दिन है, जिसे माँ शैलपुत्री की पूजा के रूप में मनाया जाता है। माँ शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम हैं और उन्हें हिमालय की पुत्री के रूप में जाना जाता है। नवरात्र के पहले दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इससे भक्तों की नवरात्रि की साधना का शुभारंभ होता है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है, जो समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। भक्त पीले वस्त्र पहनकर माँ शैलपुत्री की आराधना करते हैं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं..आज के दिन कलश स्थापना भी की जाती है, जो नवरात्र की धार्मिक परंपरा का प्रमुख हिस्सा है। शुभ मुहूर्त के अनुसार, कलश स्थापना का समय सुबह 06:19 से 07:23 बजे तक और पुनः 11:46 से 12:33 बजे तक निर्धारित है। भक्तगण इस समय में कलश स्थापित कर देवी की पूजा करते हैं और ध्वजारोहण की परंपरा का पालन करते हैं।
नवरात्रि का पहला दिन इसलिए भी खास होता है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए धरती पर आती हैं। इस दिन देवी दुर्गा की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और वे सुखी और समृद्ध जीवन जीते हैं..माँ शैलपुत्री की पूजा का नवरात्रि में विशेष महत्व है। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है। इसलिए, आइए हम सभी मिलकर माँ शैलपुत्री की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाएं। माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है और उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित रहता है। उनके हाथों में त्रिशूल और कमल का पुष्प होता है, जो उनकी शक्ति और करुणा का प्रतीक है। भक्त इस दिन निम्न मंत्र का जाप करते हैं..
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