पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (93) का गुरुवार शाम 5.05 बजे एम्स में निधन हो गया। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ‘‘मेरा 65 साल पुराना दोस्त चला गया। मैं अपने दोस्त और पुराने साथी को बेहद मिस करूंगा। देश के इस बेटे के जाने का दुख व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।’’ मोदी ने लिखा ‘‘मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। यह मेरे लिए निजी क्षति है। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है। लेकिन वो हमें कहकर गए हैं- मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’’

लेकिन वो हमें कहकर गए हैं-
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”

लेकिन वो हमें कहकर गए हैं-
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”

भारत रत्न लता मंगेशकर और सचिन ने भी अटलजी को श्रद्धांजलि दी। लता ने ट्वीट किया कि अटलजी के निधन की खबर से मेरे सिर पर पहाड़ टूटा है। मैं उन्हें पिता समान मानती थी और उन्होंने मुझे अपनी बेटी बनाया था। वहीं, सचिन तेंदुलकर ने लिखा कि आज देश को बहुत बड़ा नुकसान हुआ।

वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे। वे मूलत: कवि थे और शिक्षक भी रह चुके थे। 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई और अटलजी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया। 1957 में वाजपेयी मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। हालांकि, बलरामपुर सीट से वे जीत गए। 1975-77 के आपातकाल के दौरान वे गिरफ्तार किए गए। 1977 के बाद जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वे विदेश मंत्री भी रहे। 1980 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। वे 10 बार लोकसभा सदस्य रहे।
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